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Monday, October 26, 2009

मतलब

"आप क्या करते हैं ?"
"अपना क्या, कुछ भी कर लेते हैं"
"कुछ भी ?"
"हाँ, कुछ भी"
"मतलब ?"
"अजी, मतलब तो आप निकालते रहो"
"नहीं-नहीं, मेरा मतलब है....."
"हाँ-हाँ, सब किसी न किसी मतलब से बात करते हैं "
"आप मेरे कहने का ग़लत मतलब निकाल रहे हैं"
"तो आपका मतलब कुछ और है ?"
"बेशक !"
"तब तो आप मेरी बात को और पुख्ता कर रहे हैं"
"कौनसी बात ?"
"वही, कि सब किसी न किसी मतलब से बात करते हैं"
"अजीब आदमी हो"
"अब आप मतलब निकालने लगे ?"
"नहीं, ये तो एक बात कही है"
"ज़रूर फ़िर किसी मतलब से कही होगी"
"मैंने कहा न, मैं किसी मतलब से बात नहीं करता"
"तब तो बात करने का कोई मतलब ही नहीं रह जाता"
"अरे भई, मतलब क्या है तुम्हारा ?"
"तुम क्या सचमुच बिना मतलब बात कर रहे हो ?"
"हाँ"
"तो आगे से ख़ुद का और मेरा टाइम ख़राब मत करना"
"क्या मतलब ?"
"मतलब ये, कि जब किसी से कोई मतलब हो, तो लब मत खोलना....
बिना मतलब भी अगर लब खोलोगे, तब भी कोई कोई मतलब ज़रूर निकलेगा !"

2 comments:

  1. "मतलब ये, कि जब किसी से कोई मतलब न हो, तो लब मत खोलना....
    बिना मतलब भी अगर लब खोलोगे, तब भी कोई न कोई मतलब ज़रूर निकलेगा !"

    -उम्दा संदेश!!

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  2. वाह!! बहुत बढिया संदेश है आपकी रचना में।आभार।

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