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Friday, December 31, 2010

नव-वर्ष की शुभकामना ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

1 .1 .11
एक -एक अब दो नहीं, सीधे-सट ग्यारह !
अफसर-मंत्री-बाबू -सन्तरी सबकी ही पौ -बारह !!

जैसे किया दस का, वैसे ग्यारह का करेंगे सामना,
नव-वर्ष की शुभकामना ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! !

Sunday, December 5, 2010

कैसो पनवा, रे मनवा !

गांवन की सच्चाई देख होत मन में पीड़ा,
'पीपली' के माध्यम से आमिर उठायो बीड़ा .

चूना लगा रहे नेता, ये भ्रष्टाचार-अव्यवस्था
चकरा गए सब देख, नत्था बन गयो कत्था !

नौकरशाही बनी सुपारी लो, पूरो हो गयो पान
खा-पी कर दांतों में दबाओ, अपनों देस महान !

(टेलीविजन पर 'पीपली लाइव ' देख कर मन की प्रतिक्रिया)

Saturday, November 13, 2010

कोई बताएगा ?

ये दीवाली के बाद सचमुच ठण्ड पड़ने लगती है, या जेब ठंडी होने से ठण्ड लगने लगती है ? ? ? ?

Thursday, November 11, 2010

परिवर्तन.......

आए ओबामा......
गए ओबामा.......
काम पर लगजा
चल सुदामा !

Sunday, October 31, 2010

हैप्पी दीवाली

"अरे ये गली में अँधेरा कितने दिनों से है ?"
"जितने दिनों से ट्यूब लाइट नहीं जल रही"
"तुम भी अजीब हो ! यही तो मैं पूछ रहा हूँ, ट्यूब लाइट कितने दिनों से नहीं जल रही ?"
"दो महीने से"
"तुम्हे कैसे पता ?"
"इतने दिनों से मेरा दिल जल रहा है"
"तुम्हारे दिल से ट्यूब लाइट का क्या सम्बन्ध ?"
"बड़ा गहरा सम्बन्ध है भाई"
"वो क्या?"
"मेरे दिल में भी काफी देर तक फक-फक करके कभी रोशनी होती है, कभी अँधेरा.....
फिर रोशनी, फिर अँधेरा..........फिर रोशनी, फिर अँधेरा.......फिर..."
"अरे बस-बस, सब समझ गया"
"क्या खाक समझा,.....समझा होता, तो इतना समझाना पड़ता क्या ?"
"तो अब समझा दे भई !"
"अरे भई, रामजी जब अयोध्या वापस आये, तो घर-घर में घी के दीये जलाए गए थे.....दीवाली मनाई गयी थी "
"तो....?"
"तो क्या.......फिर दीवाली आ रही है, और हम गली में एक अदद ट्यूबलाइट के लिए दो महीनों से उम्मीद की मोमबत्ती जलाए बैठे हैं "
"ओह, तो विभाग के दफ्तर में बोलना चाहिए था न "
"वहां सब कान में तेल डाल कर बैठे हैं "
"तो भई, मेरी बात मान"
"क्या ....?"
"तू भी दिल जलाना छोड़ , दीये जला...... और वो भी तेल के ,....... और मस्ती से दीवाली मना !"
"बात तो सही है तेरी"
"तो बोल, हैप्पी दीवाली !"
"हैप्पी दीवाली !!"

Friday, October 22, 2010

वादा करो......

बतंगड़ नहीं बनाओ, तो बात शुरू करूँ ............!

Sunday, September 19, 2010

किसी का होना,........ना होना !

किसी का होना,........ना होना !

कुछ ऑंखें नम हैं आंसू से,
औरों को दुःख क्या होना !

भीड़ भरी ये दुनिया सारी,
खाली एक मन का कोना !

कितना आसां है ये कहना,
दिल में ग़म को ना ढोना !

कितना खोया तब ये जाना,
क्या पाना और क्या खोना !

किसी का होना,............ना होना !

Saturday, August 28, 2010

चाइना मेड

'हेलो'
'हेलो'
'पहचाना भाईसाहब ?'
'नहीं भाई'
'अरे पहचानेंगे कैसे, मैंने नया मोबाईल फोन जो लिया है'
'अच्छा-अच्छा, तभी मैं कहूं, ये नया नंबर कौनसा आ गया !'
'हाँ, ये नंबर सेव कर लें भाई साहब, कैसा लगा नंबर ?'
'अच्छा,.....आखिरी तीन अंक जीरो ! भई बड़ा आकर्षक नंबर है !!'
'अजी, फोन तो और भी आकर्षक है'
'अच्छा....?'
'हाँ, देखो तो पता चले'
'कौनसा है ?'
'नाम तो पता नहीं भाई साहब, लेकिन है बड़ा आकर्षक !'
'ब्रांडेड है ?'
'अजी इसके आगे ब्रांडेड क्या करेगा,चाइना मेड है, इसमें सारे लेटेस्ट फीचर्स हैं'
'चाइना मेड ?..............मगर..... भरोसेमंदी.......?'
'अजी भरोसेमंदी को मारिये गोली, आप तो बताइए, अब पहचाना मुझे ?'
'माफ़ करना, मैं अब भी नहीं पहचान पाया'
'अरे पहचानेंगे कैसे, ये मोबाईल फोन है, टेलीविजन नहीं'
'हाँ....हाँ, भई!'
'तो बताऊँ, मैं कौन हूँ ?'
'हाँ भैया'
'मैं आपका पुराना भाई बोल रहा हूँ'
'पुराना भाई ?'
'हाँ-हाँ सबसे पुराना भाई'
'सबसे पुराना भाई ?'
'हाँ जी, जैसे हिंदी-चीनी भाई-भाई !'
'हिंदी-चीनी भाई-भाई ?'
'हाँ-हाँ हिंदी-चीनी भाई-भाई !.....अ...अ....आप.....अ....अ.....'
'हेलो-हेलो'
'......अ......अ......................... ..... .......... .................. .......... ......'
'हेलो...'
'........... ...... .............. ........... ....................... ......................... ..........'
'हेलो,... लगता है,सबसे पुराने भाई का कनेक्शन कट गया !'
'.................................................................अ ...अ ................................... .................................'
'हेलो... अब क्या फर्क पड़ता है,....कनेक्शन कटा या नहीं कटा, भरोसा तो नहीं बचा !
चाइना मेड प्रोडक्ट हों या भाईबंदी, कब खराब हो जाएँ, कौन जाने !!!!!!'

Friday, August 20, 2010

सुप्रभात !

'धत तेरे की'
'.....क्या हुआ ?'
'सारा मूड ख़राब कर दिया'
'किसने ?'
'इस बिस्किट ने'
'बिस्किट...? ...इसने क्या किया.......?'
'कहा ना, सारा मूड ख़राब कर दिया'
'....लेकिन कैसे ?'
'अरे ये भी कोई बिस्किट है ?'
'अब बोल भी दो'
'इतना ढीला-ढीला.......'
'ढीला-ढीला नहीं, सीला-सीला बोलो'
'हाँ वही...!'
'मगर बारिश में तो बिस्किट सील ही जाता है'
'मगर हमें तो बिस्किट कुरकुरा-कड़क ही अच्छा लगता है'
'भई, कड़क तो सड़क होती है '
'हाँ-हाँ उतना ही कड़क'
'लेकिन बारिश में तो सड़क भी कड़क नहीं रहती, वो भी बिस्किट बन जाती है'
'अच्छा-अच्छा अब तुम मूड ख़राब मत करो'
'क्यों, सड़क क्या मैंने बनाई है ?'
'नहीं,......मगर चाय तो बनाई है'
'..तो पीलो ना...'
'वाह !'
'क्या हुआ ?'
'भई, बिस्किट और सड़क भले ही कड़क न हो, लेकिन चाय बड़ी कड़क है !!'
'तो अब मूड कुछ सुधरा ?'
'बिलकुल-बिलकुल !!'
'चलो,.....हमारा दिन सुधरा !'

Friday, June 4, 2010

बातें

कुछ बातें हम अपने बारे में कहते हैं
कुछ बातें लोग हमारे बारे में कहते हैं
कुछ बातें हम एक- दूसरे के बारे में कहते हैं
कुछ बातें हम एक से कहते हैं
कुछ बातें हम दूसरे से कहते हैं
कुछ बातें हम एक-दूसरे से कहते हैं
कुछ बातें दूसरे हम से कहते हैं



........लेकिन कोई किसी की सुनता भी है ?

Sunday, April 18, 2010

धूम मचा ले धूम

'भाई साहब, ये आइपीएल के दौरान क्या चल रहा है ?'
'आप देख ही रहे हैं ज़नाब'
'अजी हम आप से जानना चाहते हैं'
'इंडियन पोलिटिकल लीग'
'वो नहीं .......'
'तो फिर क्या....?'
'क्रिकेट में पोलिटिकल लफड़ों से हमें कोई लेना-देना नहीं'
'तो क्या आज की क्रिकेट में सचमुच क्रिकेट ढूँढने निकले हो ?'
'भाई साहब हम खेल और खिलाडी की बात कर रहे हैं'
'हा हा हा हा'
'मज़ाक नहीं, सचमुच !'
'चलिए पूछिए'
'इस आइपीएल के दौरान अब तक किस क्रिकेट प्लेयर ने सबसे ज़्यादा धूम मचाई है ?
'बड़ा कठिन सवाल है'
'क्यों ?'
'गैर पोलिटिकल है न, इसलिए'
'चलो प्लेयर ना सही, उसके देश का नाम ही बता दो'
'यार, ज़्यादा उलझाओ मत, खुद ही बता दो'
'पाकिस्तान'
'पाकिस्तान....!...... मगर पाकिस्तान का तो कोई प्लेयर इस आइपीएल में खेल ही नहीं रहा !'
'लेकिन हम आइपीएल में नहीं, आइपीएल के दौरान की बात कर रहे हैं'
'भई, कौन है वो ?'
'वही, जिसने उलटे-सीधे चौके-छक्के मारे और ओवर पूरे होने से पहले ही जीत हासिल कर ली'
'अरे भई, अब बता भी दो'
'अब भी नहीं समझे ?.....अरे भई वही, जो टेनिस की बॉल से क्रिकेट खेल रहा है......'
'ओ.....!!!!!!!'
'हाँ.........अब समझे !!!!!!!'
'हाँ , सचमुच धूम मचा दी धूम !!!!!'

Tuesday, April 6, 2010

क्या भूलें ,क्या याद करें

'हेलो भाई साब '
'हेलो'
'क्या हुआ भाई साब, आप तो हमें भूल ही गए'
'अजी आप को कैसे भूल सकते हैं'
'लो, पूरे चार महिने हो गए, आप ने एक भी फोन नहीं किया'
'फोन नहीं करने का मतलब ये तो नहीं ,कि हम आपको भूल गए'
'तो हम आपको याद हैं, ये कैसे मान लें ?'
'तो मत मानिए'
'लो, आप तो नाराज़ हो गए'
' तो ऐसा मान लीजिए'
'ऐसा कैसे मान लें साब, आपको नाराज़ करने के लिए फोन थोड़े ही किया है'
'तो क्यों किया है ?'
'आप को याद दिलाने के लिए'
'क्या'
'लो, ये भी भूल गए !'
'अब बोलिए भी'
'क्या बोलें साब, आप ने तो हमें कुछ बोलने लायक छोड़ा ही नहीं'
'तो छोडिए'
'क्या'
'पीछा'
'किसका ?'
'हमारा'
'लगता है आप हमें सचमुच भूल गए हैं'
'तो आप याद दिला दीजिए'
'क्या ?'
'आप का नंबर'
'आप ने सेव नहीं कर रखा क्या ?'
'हो सकता है'
'तो नाम देख कर कॉल कर देते'
'लेकिन अपना नाम तो बताइए'
'ये तो हद कर रहे हैं हैं आप, आप को अपना नाम तो याद है ना ?'
'नाम तो याद है, लेकिन पासवर्ड भूल गया हूँ'
'हो गया कल्याण'
'किसका ?'
'आपका ज़नाब आपका'
'क्यों ?'
'अरे भई, पासवर्ड का ज़माना है, एक बार तो अपना नाम भी भूल जाना लेकिन अपना पासवर्ड मत भूलना'
'अब क्या करें भई ?'
'गाना गाइए -"नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरा पासवर्ड ही पहचान है , गर याद रहे"...........
"हेलो'
...............
'हेलो'
.............................................................................. ....................... ...... ................ ...

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