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Sunday, October 4, 2009

आ दिवाली आ !

आ दिवाली आ .....
जगमग-जगमग आ
धूम-धाम से आ
जल्दी-जल्दी आ ।

भत्ते-बोनस ला
मुफ्त-छूट दिला
गिफ्ट-इनाम बरसा
मिठाई-मेवे खिला ।

साल भर तक की प्रतीक्षा
सबका उल्लू किया है सीधा
अब 'लिछमी' जब प्रकट हो रही,
भई रख ले, मत शरमा ।

सुख से जीने का यह जरिया,
जीवन है एक बहता दरिया
सच्चा 'अर्थ' यही जीवन का
व्यर्थ न 'चांस' गँवा ।

आ दिवाली आ,
अब तो आ ही जा !

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