काफी दिनों से बीवी पीछे पड़ी थी, कि ज़रा अपना 'स्टेटस' देखो....एक कार तो हमारे पास
होनी ही चाहिए ।
आख़िर वो कार ले ही आया, और पॉश कोलोनी में अपने घर के आगे खड़ी कर दी ।
'सब से पहले गणेश मन्दिर चलेंगे' बीवी ने चहकते हुए कहा ।
'पुराने घर से माँ- बाऊजी को भी साथ ले लें, उन्हें कार लाने की ख़बर भी हो जायेगी' कह कर उसने बीवी का मूड भांपने की कोशिश की ।
बीवी ने नाक सिकोडी, और कहा ,'मर्जी आपकी, हमें क्या ।'
मन्दिर में दर्शन करने के बाद जब 'जुग-जुग जियो बेटा' कह कर माँ ने उसके सर पर हाथ फेरा,
उस समय वो और उसकी बीवी दोनों ये अंदाजा तक नहीं लगा पाये, कि माँ ने एक धुंधली आकृति भर देखी,
गणेशजी के दर्शन नहीं कर पाईं ........... उनकी आँख का मोतियाबिंद पिछले कुछ सालों में पक चुका था !
ओह!! मार्मिक!!
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