नाच अंगुली, नाच !
विचारों की ताल पर, अभिव्यक्ति की लय पर
थिरक-थिरक ....नाच !!
पहले कागज़ पर चलती थी कलम ।
दो अंगुलियाँ और एक अंगूठा मिल कर पकड़ते थे जिसे ।
शेष दो अंगुलियाँ सहारा देती थीं जिनको ।
पूरा हाथ चलता था कलम के साथ !
आज 'की-बोर्ड' पर चलती हैं अंगुलियाँ ।
सारी अलग-अलग ।
सबने बाँट रखे हैं अपने-अपने अक्षर ।
और अंगूठा बढ़ा रहा दूरी,.... दे रहा 'स्पेस' !
चाहे नाचो अलग-अलग, चाहे थिरको अलग-अलग,
लेकिन शब्दों को बंटने ना देना, वाक्य को टूटने ना देना,
एकता की शक्ति पर,
विचारों और अभिव्यक्ति पर
आने ना पाए आंच,
नाच अंगुली, नाच .............!
विचारों की ताल पर, अभिव्यक्ति की लय पर
थिरक-थिरक ....नाच !!
पहले कागज़ पर चलती थी कलम ।
दो अंगुलियाँ और एक अंगूठा मिल कर पकड़ते थे जिसे ।
शेष दो अंगुलियाँ सहारा देती थीं जिनको ।
पूरा हाथ चलता था कलम के साथ !
आज 'की-बोर्ड' पर चलती हैं अंगुलियाँ ।
सारी अलग-अलग ।
सबने बाँट रखे हैं अपने-अपने अक्षर ।
और अंगूठा बढ़ा रहा दूरी,.... दे रहा 'स्पेस' !
चाहे नाचो अलग-अलग, चाहे थिरको अलग-अलग,
लेकिन शब्दों को बंटने ना देना, वाक्य को टूटने ना देना,
एकता की शक्ति पर,
विचारों और अभिव्यक्ति पर
आने ना पाए आंच,
नाच अंगुली, नाच .............!
wah kya baat hai.
ReplyDeleteआपको हिन्दी में लिखता देख गर्वित हूँ.
ReplyDeleteभाषा की सेवा एवं उसके प्रसार के लिये आपके योगदान हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ.
बहुत उम्दा, बेहतरीन!!
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