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Wednesday, September 16, 2009

माफ़ी चाहूंगा ........,लेकिन......


"अंधा क्या चाहे- दो आँख"

यही पढ़ा है अब तक
सभी के मुंह से सुना भी यही है
मैं भी यही मानता रहा हूँ.......जो बचपन से सीखा , वैसा ही माना

अब ध्यान गया है......
"अंधा क्या चाहे- दो आँख", यह बात किसी नेत्रहीन ने तो निश्चय ही नहीं कही है
जिस ने भी कही, वह नेत्रहीन नहीं था...हाँ, दृष्टिहीन अवश्य रहा होगा

मैंने ऐसे नेत्रहीन व्यक्तियों को देखा है, जिनके पास ऎसी दृष्टि है,
जिससे अनेकों को मार्गदर्शन मिला है
दृष्टिहीन तो नेत्र होते हुए भी देख पाने में असमर्थ होता है

मुझे लगता है, इस बात को यूँ कहा जाना चाहिए था-"अंधा क्या चाहे- एक आँख" ।
नेत्रहीन को एक आँख भी मिल जाए तो उसे दिखने तो लगेगा ही
जिसके पास कुछ भी नहीं होता, वो पहले "कुछ" पाने की सोचता है...."सब कुछ" की नही !

माफी चाहूँगा......., लेकिन...........कुछ दिखा, और......यह लिखा !

4 comments:

  1. यह तो किसी अंधे से पूछना पड़ेगा

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  2. थोड़ा रिफरेन्स भी देते कि क्या दिखा तो हम भी जोड़ कर देख लेते. :)

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  3. बहुत खूब मनोज जी, आपने अपने नाम से जुड़े त्रिवेदी शब्द को सार्थक कर दिया है। मैं सबसे आपके कारटूनिस्ट रूप से परिचित था, बाद में एक दिन टेलीविजन पर आपका अभिनेता रूप दिखा और अब ब्लॉग पर आपके साहित्यकार और कवि रूप के दर्शन हो रहे हैं। यकीन है आने वाले दिनों में आपके व्यक्तित्व की और भी कई खूबियां सामने आएंगी।
    आपने अपने पहले ब्लॉग में जहां तक मेरे प्रेरणा की बात कही है, तो मैं स्पष्ट कर दूं कि आप जैसी महान विभूति को प्रेरणा देने की हिम्मत मुझमें नहीं है और न ही ऐसी भूल मैं कर सकता हूं। हां, मेरी भूमिका तो इतनी भर है कि आज के दौर में नारद भगवान प्रकट हों और उन्हें कोई थ्रीजी सुविधा वाली मोबाइल के बारे में बताए तो वह सूचनाप्रदाता तो हो सकता है, प्रेरक कदापि नहीं। एक शिकायत जरूर है, मैंने आपके जिस रूप से दुनिया को परिचित कराना चाहा था, मेरा वह उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है। यदि कोई तकनीकी या अन्य अपरिहार्य मजबूरी नहीं हो तो इन साहित्यिक विचारों के साथ अपने कारटून भी नियमित रूप से ब्लॉग पर अवश्य डालें। जहां तक -काका- के रंग बदलने की बात है तो शायद ब्लॉग आरजीबी फॉरमेट स्वीकार नहीं करता, इसलिए सीएमवाईके फॉरमेट में जेपीईजी फाइल अपलोड करें, काका-आपके मनचाहे रंग में ही दिखेंगे। ब्लॉग पर सक्रियता और लोकप्रियता अर्जित करने के लिए अशेष मंगलकामनाएं।
    (एक और संयोगः मैंने भी अपना ब्लॉग आप वाले ले-आउट में ही शुरू किया था, कहीं न कहीं हमारी पसंद समान है)

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  4. प्रेरणा शब्द का गलत प्रयोग करने के लिए क्षमा चाहता हूं। आपने सही लिखा था-सुझाव और सलाह। धन्यवाद।

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