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Wednesday, September 9, 2009

असली रंग

चौराहे पर लाल बत्ती हो चुकी थी और बीचों-बीच ट्रेफिक पुलिस वाला खड़ा था ।
मैंने अपना स्कूटर रोका
स्कूटर लाल बत्ती को देख कर रोका, या पुलिस वाले को,... यह बताना मुश्किल है ।
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इधर-उधर देखा...होर्डिंग, दुकानें, आगे खड़ी कार पर कपड़ा मार कर पैसे मांगता लड़का..... ।
दाहिने नज़र पड़ी.....डिवाईडर के बीच लगे पौधों के ऊपर वाले पत्ते हरे , ....और नीचे के पत्ते लाल !
आश्चर्य हुआ, सब एक ही तरह के पौधों के पत्तों का रंग अलग-अलग !!!!
कहीं पौधे नकली तो नहीं ?!?
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ध्यान से देखा, पौधे नकली नहीं थे, उनके नीचे वाले पत्तों का रंग पान और गुटखों की पीक के कारण लाल था ।
लगा, "यही तो हमारे सुसभ्य चेहरे का असली रंग है !"

1 comment:

  1. tabhi shayad aaj ki duniya mein ye tai karna mushkil ho jaata hai ki kaun asli hai kaun nakli,kiske chehre pe kaun saa mukhauta hai...

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