Followers

Saturday, August 28, 2010

चाइना मेड

'हेलो'
'हेलो'
'पहचाना भाईसाहब ?'
'नहीं भाई'
'अरे पहचानेंगे कैसे, मैंने नया मोबाईल फोन जो लिया है'
'अच्छा-अच्छा, तभी मैं कहूं, ये नया नंबर कौनसा आ गया !'
'हाँ, ये नंबर सेव कर लें भाई साहब, कैसा लगा नंबर ?'
'अच्छा,.....आखिरी तीन अंक जीरो ! भई बड़ा आकर्षक नंबर है !!'
'अजी, फोन तो और भी आकर्षक है'
'अच्छा....?'
'हाँ, देखो तो पता चले'
'कौनसा है ?'
'नाम तो पता नहीं भाई साहब, लेकिन है बड़ा आकर्षक !'
'ब्रांडेड है ?'
'अजी इसके आगे ब्रांडेड क्या करेगा,चाइना मेड है, इसमें सारे लेटेस्ट फीचर्स हैं'
'चाइना मेड ?..............मगर..... भरोसेमंदी.......?'
'अजी भरोसेमंदी को मारिये गोली, आप तो बताइए, अब पहचाना मुझे ?'
'माफ़ करना, मैं अब भी नहीं पहचान पाया'
'अरे पहचानेंगे कैसे, ये मोबाईल फोन है, टेलीविजन नहीं'
'हाँ....हाँ, भई!'
'तो बताऊँ, मैं कौन हूँ ?'
'हाँ भैया'
'मैं आपका पुराना भाई बोल रहा हूँ'
'पुराना भाई ?'
'हाँ-हाँ सबसे पुराना भाई'
'सबसे पुराना भाई ?'
'हाँ जी, जैसे हिंदी-चीनी भाई-भाई !'
'हिंदी-चीनी भाई-भाई ?'
'हाँ-हाँ हिंदी-चीनी भाई-भाई !.....अ...अ....आप.....अ....अ.....'
'हेलो-हेलो'
'......अ......अ......................... ..... .......... .................. .......... ......'
'हेलो...'
'........... ...... .............. ........... ....................... ......................... ..........'
'हेलो,... लगता है,सबसे पुराने भाई का कनेक्शन कट गया !'
'.................................................................अ ...अ ................................... .................................'
'हेलो... अब क्या फर्क पड़ता है,....कनेक्शन कटा या नहीं कटा, भरोसा तो नहीं बचा !
चाइना मेड प्रोडक्ट हों या भाईबंदी, कब खराब हो जाएँ, कौन जाने !!!!!!'

Friday, August 20, 2010

सुप्रभात !

'धत तेरे की'
'.....क्या हुआ ?'
'सारा मूड ख़राब कर दिया'
'किसने ?'
'इस बिस्किट ने'
'बिस्किट...? ...इसने क्या किया.......?'
'कहा ना, सारा मूड ख़राब कर दिया'
'....लेकिन कैसे ?'
'अरे ये भी कोई बिस्किट है ?'
'अब बोल भी दो'
'इतना ढीला-ढीला.......'
'ढीला-ढीला नहीं, सीला-सीला बोलो'
'हाँ वही...!'
'मगर बारिश में तो बिस्किट सील ही जाता है'
'मगर हमें तो बिस्किट कुरकुरा-कड़क ही अच्छा लगता है'
'भई, कड़क तो सड़क होती है '
'हाँ-हाँ उतना ही कड़क'
'लेकिन बारिश में तो सड़क भी कड़क नहीं रहती, वो भी बिस्किट बन जाती है'
'अच्छा-अच्छा अब तुम मूड ख़राब मत करो'
'क्यों, सड़क क्या मैंने बनाई है ?'
'नहीं,......मगर चाय तो बनाई है'
'..तो पीलो ना...'
'वाह !'
'क्या हुआ ?'
'भई, बिस्किट और सड़क भले ही कड़क न हो, लेकिन चाय बड़ी कड़क है !!'
'तो अब मूड कुछ सुधरा ?'
'बिलकुल-बिलकुल !!'
'चलो,.....हमारा दिन सुधरा !'

Pages